भोपाल। राज्य के स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट से पता चला है कि स्कूली स्तर पर चार प्रतिशत बच्चे तंबाकू चबाते हैं। इसके अलावा भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) की एक रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में लगभग 54.9 प्रतिशत पुरुषों और 17.7 प्रतिशत महिलाओं में कैंसर का मूल कारण तंबाकू है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अध्ययनों से संकेत मिलता है कि युवाओं में तंबाकू का सेवन तेज़ी से बढ़ रहा है, जिसके कारण स्कूल/कॉलेज परिसरों में अन्य प्रकार के मादक द्रव्यों के सेवन का चलन बढ़ रहा है। अध्ययनों से पता चला है कि 13-15 वर्ष की आयु के 8.5 प्रतिशत भारतीय छात्र किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन कर रहे थे।
इससे भी अधिक चिंताजनक तथ्य यह है कि देश में प्रतिदिन 5,500 से अधिक बच्चे तंबाकू का सेवन शुरू करते हैं। तंबाकू का सेवन अक्सर अधिक खतरनाक पदार्थों का प्रवेश द्वार होता है। अधिकांश वयस्क किशोरावस्था में ही तंबाकू का सेवन शुरू कर देते हैं और कई लोग मौजूदा कानूनों के बावजूद, स्कूलों के पास की दुकानों से आसानी से ये उत्पाद खरीद लेते हैं।
स्वास्थ्य विभाग इस बढ़ते खतरे से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग, स्कूल शिक्षा विभाग के सहयोग से तंबाकू मुक्त शैक्षणिक संस्थान दिशा—निर्देश को सक्रिय रूप से लागू कर रहा है। यह स्कूलों और कॉलेजों को तंबाकू के उपयोग और बिक्री से पूरी तरह मुक्त बनाने के लिए एक सुव्यवस्थित दिशा—निर्देश प्रदान करता है।” “इसका उद्देश्य स्कूलों को दिशा—निर्देशों का पालन करने में सहायता करना है, जिससे छात्रों के लिए एक स्वस्थ, तंबाकू मुक्त वातावरण का निर्माण हो सके।
यह नियमावली सभी हितधारकों को ऐसे दिशा—निर्देशों को अपनाने और लागू करने का अधिकार देती है जो छात्रों को तंबाकू के खतरों से बचाते हैं। यह प्रवर्तन अभियान सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (कोटपा), 2003 की धारा 6(बी) को लागू करने के लिए है, जो शैक्षणिक संस्थानों के 100 गज के दायरे में तंबाकू उत्पादों की बिक्री और नाबालिगों को या उनके द्वारा तंबाकू की बिक्री पर प्रतिबंध लगाता है।”