भोपाल। खनन विभाग ने मध्य प्रदेश में अवैध खनन पर नकेल कसने के लिए सैटेलाइट तकनीक का इस्तेमाल करते हुए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है। यह पहल मई में शुरू हुई थी और इसका पहला ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है। विभाग अब दो महीने के भीतर पूरे राज्य में सैटेलाइट आधारित निगरानी प्रणाली का विस्तार करने की योजना बना रहा है।
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खनन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कई उपायों के बावजूद अवैध खनन पर पूरी तरह से नियंत्रण नहीं हो पाया है। निगरानी को मजबूत करने के लिए विभाग अब खनन निगरानी प्रणाली (MSS) की ओर रुख कर रहा है, जो खनन गतिविधि पर नज़र रखने के लिए सैटेलाइट इमेजिंग का इस्तेमाल करता है।
मध्य प्रदेश में बड़ी और छोटी दोनों तरह की करीब 7,500 खदानें हैं। पायलट के हिस्से के तौर पर मई से चुनिंदा क्षेत्रों को सैटेलाइट निगरानी में रखा गया है। सभी खदानों को जियो-रेफ़रेंस किया गया है और उनकी सीमाओं को डिजिटल रूप से फ़्रीज़ किया गया है। जब उपग्रह हर महीने किसी खदान के ऊपर से गुजरता है, तो यह पिछले 30 दिनों के साथ नवीनतम डेटा की तुलना करता है। यदि स्वीकृत सीमा के बाहर कोई नई खुदाई का पता चलता है, तो सिस्टम स्वचालित रूप से अलर्ट उत्पन्न करता है।
ये अलर्ट कलेक्टर और संबंधित खनन अधिकारी को एक समर्पित ऐप के ज़रिए भेजे जाते हैं। फिर भौतिक सत्यापन किया जाता है और यदि अवैध खनन की पुष्टि होती है, तो मामला दर्ज किया जाता है। अधिकारियों ने कहा कि एमएसएस परीक्षण का पहला दौर पहले ही सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है।
हमने राज्य में अवैध खनन को रोकने के लिए एमएसएस को अपनाया है। आने वाले महीनों में इसे पूरे राज्य में पूरी ताकत से लागू किया जाएगा। अभी यह पायलट प्रोजेक्ट के तहत है।
—उमाकांत उमराव, प्रमुख सचिव, खनन विभाग