
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर 2025 को अपने 75वें जन्मदिन के करीब पहुंच रहे हैं। ऐसे में यह सवाल बना हुआ है कि क्या वह पद पर बने रहेंगे या भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उस अलिखित नियम का पालन करेंगे, जिसके अनुसार नेताओं को उस उम्र में सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लेना चाहिए।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!हालांकि, भाजपा और उसके नेता बार-बार यह दावा करते रहे हैं कि प्रधानमंत्री मोदी पद पर बने रहेंगे, लेकिन अटकलें जारी हैं। कुछ लोगों का मानना है कि वह भविष्य के नेताओं के लिए एक उदाहरण स्थापित करने के लिए स्वेच्छा से पद छोड़ सकते हैं।
इस बहस को और बढ़ाते हुए आरटीआई कार्यकर्ता अजय बोस ने हाल ही में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से स्पष्टीकरण मांगा, जिसमें उन्होंने मोदी के 75 वर्ष की आयु होने पर भाजपा के मार्गदर्शक मंडल (वरिष्ठ मार्गदर्शकों का एक समूह) में शामिल होने संबंधी पिछले बयानों का हवाला दिया।
बोस ने अपने प्रश्न में पूछा, क्या प्रधानमंत्री मोदी 75 वर्ष की आयु होने पर 17 सितंबर 2025 को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर मार्गदर्शक मंडल में शामिल होंगे? क्या प्रधानमंत्री मोदी ने किसी उत्तराधिकारी का नाम घोषित किया है? यदि हाँ, तो कौन?
हालांकि, पीएमओ के जवाब में इन सवालों को खारिज कर दिया गया और कहा गया कि यह अनुरोध आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 2(एफ) के अनुसार “सूचना की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आता”। इसमें आगे स्पष्ट किया गया कि केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) काल्पनिक प्रश्नों का उत्तर देने या सूचना की व्याख्या करने के लिए बाध्य नहीं है।
काफी समय से भाजपा में अनौपचारिक आयु-आधारित सेवानिवृत्ति नीति अपनाई जाती रही है, जिसमें लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी सहित कई वरिष्ठ नेताओं को 75 वर्ष की आयु पूरी होने पर मार्गदर्शक मंडल में स्थानांतरित कर दिया जाता है। हालांकि, कुछ अपवाद भी हैं और पार्टी लगातार यह कहती रही है कि मोदी सरकार का नेतृत्व करते रहेंगे।
राजनीतिक विश्लेषकों में मतभेद है—कुछ का तर्क है कि मोदी की अभूतपूर्व लोकप्रियता और नेतृत्व क्षमता किसी अपवाद को उचित ठहराती है, जबकि अन्य का मानना है कि स्वैच्छिक इस्तीफा पार्टी के भीतर संस्थागत मानदंडों को मजबूत कर सकता है।
प्रधानमंत्री कार्यालय या भाजपा की ओर से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं होने के कारण यह मामला अटकलों का विषय बना हुआ है। अब सभी की निगाहें 17 सितंबर 2025 पर टिकी हैं, जब मोदी का निर्णय—चाहे वे पद पर बने रहें या हट जाएं, आखिरकार स्पष्टता प्रदान करेगा। फिलहाल यह सवाल बना हुआ है कि क्या मोदी परंपरा को तोड़ेंगे या उसे कायम रखेंगे? यह तो समय ही बताएगा।