
इंदौर। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) के पूर्व मुख्य आयुक्त नवनीत गोयल ने कहा है कि जीएसटी की दरें 2 या 3 स्लैब से अधिक नहीं होनी चाहिए।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) नियमों को व्यावहारिक बनाना आवश्यक है। उन्होंने सुझाव दिया कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाना चाहिए, छोटे करदाताओं के लिए वार्षिक रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया को सरल बनाया जाना चाहिए और कंपोजिशन डीलरों के लिए जीएसटी की दर को घटाकर 0.5% किया जाना चाहिए।
पूर्व आईआरएस अधिकारी गोयल ने यह बात ‘सरकारी राजस्व और अर्थव्यवस्था पर जीएसटी 2.0 सुधारों का प्रभाव’ विषय पर चर्चा के लिए आयोजित एक विशेष सेमिनार में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए कही। यह सेमिनार एमपीटीएलबीए और सीटीपीए के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया था।
एमपीटीएलबीए अध्यक्ष एडवोकेट एके लखोटिया ने कहा कि हाल ही में संपन्न हुई 56वीं जीएसटी परिषद की बैठक में दरों और प्रावधानों में बड़े बदलावों के संकेत मिले हैं। यह “जीएसटी 2.0 सुधार” त्योहारी सीजन से पहले देश को एक तोहफा देने जैसा है, लेकिन राजस्व और जनता पर इसके प्रभाव को समझना जरूरी है।
वरिष्ठ कर सलाहकार अमित दवे ने सीबीआईसी से बिक्री के बाद मिलने वाली छूट पर कराधान में मौजूदा विसंगतियों को दूर करने के लिए एक स्पष्ट परिपत्र जारी करने की मांग की। जीएसटी विशेषज्ञ सुनील पी. जैन ने कहा कि दरों में कमी का लाभ जनता को तभी मिलेगा जब कच्चे और तैयार माल की लागत कम होगी।
अहिल्या चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष रमेश खंडेलवाल और महासचिव सुशील सुरेखा ने ऑनलाइन क्रियान्वयन और जटिल नियमों को सरल बनाने पर ज़ोर दिया। एआईएमपी के सचिव तरुण व्यास ने स्टेशनरी वस्तुओं पर कर दरों में विसंगति की ओर इशारा किया।
अंत में एडवोकेट एके गौड़ ने कहा कि बैठक में उठाए गए बिंदुओं को शामिल करते हुए एक ज्ञापन केंद्रीय वित्त मंत्री और जीएसटी परिषद को भेजा जाएगा, ताकि आगामी बजट में आवश्यक संशोधन किए जा सकें।