भोपाल। मध्य प्रदेश ने दो महीने में कम से कम आठ टाइगर खो दिए। इनमें से कुछ का शिकार किया गया। इस साल जनवरी से अब तक शावकों समेत करीब 46 टाइगर मर चुके हैं। अगस्त में सतपुड़ा टाइगर रिज़र्व में एक टाइगर का शिकार किया गया था और उसका शव एक नदी के बैकवाटर में तैरता हुआ मिला था।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!कुछ महीने पहले शहडोल में टाइगर के शरीर के अंगों के साथ एक गैंग को पकड़ा गया था। नवंबर के पहले हफ़्ते में संजय दुबरी नेशनल पार्क में एक टाइगर का शिकार किया गया था। आरोपियों ने बड़ी बिल्ली को तीन टुकड़ों में काटकर एक लोकल तालाब में फेंक दिया था। बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। फ़ॉरेस्ट अधिकारियों ने कहा कि आरोपियों ने जंगली सूअर को पकड़ने के लिए जाल बिछाया था और टाइगर जाल का शिकार हो गया।
नेशनल टाइगर कंज़र्वेशन अथॉरिटी के टाइगर मॉर्टेलिटी हेड का कहना है कि अक्टूबर और नवंबर में हुई आठ टाइगर मौतों में से सबसे ज्यादा चार मौतें कान्हा टाइगर रिजर्व की सीमा में हुईं।
बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि जहां तक शिकार के मामलों की बात है, शिकारी जंगली शाकाहारी जानवरों को पकड़ने के लिए जाल बिछाते हैं और गलती से बाघ शिकार बन जाते हैं। उन्होंने बताया, अब कोई एक्टिव इंटरनेशनल गैंग नहीं है, जो बाघों के शरीर के अंग और खाल पाने के लिए उन्हें टारगेट करता हो। अब, शिकारी बड़ी बिल्ली के शरीर के अंगों को पानी में फेंकने या ज़मीन में दबाने की कोशिश करते हैं। अगर उन्होंने किसी खास मकसद से बाघों को मारा होता, तो वे शरीर के अंगों को दबाने की कोशिश क्यों करते।
उन्होंने दावा किया कि दशकों पहले के ट्रेंड की तुलना में, जिसमें गांव वाले जश्न मनाने के लिए शाकाहारी जानवरों को मारते थे, शाकाहारी जानवरों को मारने का ट्रेंड बहुत कम हो गया है।
हालांकि, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के अधिकारियों ने शिकार की घटनाओं को रोकने के लिए रात की ड्यूटी बढ़ा दी है। लाइव इलेक्ट्रिक वायर ट्रैप का पता लगाने के लिए, उनके पास एक खास गैजेट है, जो 10 मीटर की दूरी से बिजली के करंट के फ्लो का पता लगाता है। उन्होंने आगे कहा कि अब बाघों की आबादी बहुत ज़्यादा हो गई है और इसलिए चुनौतियां बढ़ गई हैं।
वाइल्डलाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे ने कहा कि स्पेशल टाइगर फोर्स बनाने में देरी शिकारियों से निपटने में नाकामी की असली वजह है। इसके साथ ही इंटेलिजेंस की नाकामी भी राज्य में बड़ी बिल्लियों की मौत का कारण बन रही है।