नई दिल्ली। अब हर नए स्मार्टफोन में साइबर सिक्योरिटी ऐप ‘संचार साथी’ पहले से इंस्टॉल आएगा। केंद्र सरकार ने स्मार्टफोन कंपनियों को आदेश दिया है कि वे ऐसे स्मार्टफोन बेचें जिनमें सरकार का साइबर सिक्योरिटी ऐप पहले से इंस्टॉल हो।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!रिपोर्ट के मुताबिक, इस आदेश में एप्पल, सैमसंग, वीवो, ओप्पो और शाओमी जैसी कंपनियों को इसे लागू करने के लिए 90 दिन का समय दिया गया है। यूज़र्स इस ऐप को डिलीट या डिसेबल नहीं कर पाएंगे। यह पुराने फोन में सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए इंस्टॉल हो जाएगा।
हालांकि, यह आदेश अभी पब्लिक नहीं किया गया है, लेकिन इसे कुछ चुनिंदा कंपनियों को प्राइवेट तौर पर भेजा गया है। सरकार का मकसद साइबर फ्रॉड, नकली IMEI नंबर और फोन चोरी को रोकना है।
संचार साथी ऐप का इस्तेमाल करके 700,000 से ज्यादा खोए या चोरी हुए मोबाइल फोन रिकवर किए गए हैं। एक सीनियर सरकारी अधिकारी के मुताबिक, नकली IMEI नंबर से होने वाले स्कैम और नेटवर्क के गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए यह ऐप जरूरी है।
संचार साथी ऐप क्या है, और यह कैसे मदद करेगा?
संचार साथी ऐप सरकार का बनाया साइबर सिक्योरिटी टूल है, जिसे 17 जनवरी, 2025 को लॉन्च किया गया था। यह अभी Apple और Google Play स्टोर पर अपनी मर्ज़ी से डाउनलोड करने के लिए उपलब्ध है, लेकिन अब नए फ़ोन के लिए यह जरूरी होगा।
यह ऐप यूज़र्स को कॉल, मैसेज या WhatsApp चैट की रिपोर्ट करने में मदद करता है। यह IMEI नंबर चेक करके चोरी हुए या खोए हुए फोन को ब्लॉक कर देगा।
डुप्लीकेट IMEI नंबर की वजह से साइबर क्राइम बढ़ रहा है
भारत में 1.2 बिलियन से ज़्यादा मोबाइल यूजर हैं, जो दुनिया का सबसे बड़ा मार्केट है, लेकिन नकली या डुप्लीकेट IMEI नंबर की वजह से साइबर क्राइम बढ़ रहा है। IMEI एक यूनिक 15-डिजिट का कोड है जो फ़ोन की पहचान करता है।
क्रिमिनल ट्रैकिंग से बचने के लिए चोरी हुए फ़ोन का क्लोन बनाते हैं, लोगों को स्कैम करते हैं, या उन्हें ब्लैक मार्केट में बेच देते हैं। सरकार का कहना है कि यह ऐप पुलिस को डिवाइस ट्रेस करने में मदद करेगा। सितंबर में, DoT ने बताया कि 2.276 मिलियन डिवाइस ट्रेस किए गए थे।
इंडस्ट्री के सूत्रों का कहना है कि कंपनियां पहले से सलाह-मशविरा न होने को लेकर परेशान हैं। Apple की दिक्कतें, खासकर बढ़ सकती हैं, क्योंकि कंपनी की अंदरूनी पॉलिसी सेल से पहले फोन पर किसी भी सरकारी या थर्ड-पार्टी ऐप को प्री-इंस्टॉल करने पर रोक लगाती है।
Apple पहले भी एक एंटी-स्पैम ऐप को लेकर टेलीकॉम रेगुलेटर्स से भिड़ चुका है। इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का मानना है कि Apple सरकार से बातचीत कर सकता है या यूज़र्स को अपनी मर्ज़ी से प्रॉम्प्ट भी दे सकता है। हालाँकि, अभी तक किसी भी कंपनी ने इस ऑर्डर पर कोई कमेंट नहीं किया है।
यूजर्स को सीधा फायदा
यूजर्स को सीधा फ़ायदा होगा। अगर कोई चोरी हुआ फोन मिलता है, तो वह IMEI चेक करके उसे तुरंत ब्लॉक कर पाएगा। फ्रॉड कॉल्स की रिपोर्ट करने से स्कैम कम होंगे, लेकिन ऐप डिलीट न होने से प्राइवेसी ग्रुप्स सवाल उठा सकते हैं। यूजर कंट्रोल कम हो जाएगा। ऐप में भविष्य में और भी फ़ीचर्स जोड़े जा सकते हैं, जैसे बेहतर ट्रैकिंग या AI-बेस्ड फ्रॉड डिटेक्शन। DoT का कहना है कि इससे टेलीकॉम सिक्योरिटी अगले लेवल पर पहुंच जाएगी।