भोपाल। मध्य प्रदेश के सागर जिले के बीना विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे की सीट खतरे में है। जबलपुर उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को इस मामले में अहम सुनवाई की और विधायक निर्मला सप्रे और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर दोनों को नोटिस जारी किए है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!हाई कोर्ट ने 18 नवंबर तक लिखित जवाब देने का आदेश दिया। मामला दलबदल विरोधी कानून से जुड़ा है और विधानसभा अध्यक्ष से उनके समक्ष लंबित याचिका की स्थिति बताने को कहा गया है।
यह विवाद मई 2024 के लोकसभा चुनाव के आसपास शुरू हुआ था। कांग्रेस पार्टी में रहते हुए बीना विधायक निर्मला सप्रे ने भाजपा नेताओं के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने शुरू कर दिए। हालांकि उन्होंने औपचारिक रूप से पार्टी नहीं छोड़ी, लेकिन उनके राजनीतिक रुख ने राजनीतिक बवाल मचा दिया।
नतीजतन, विपक्ष ने उन पर दलबदल विरोधी कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। इस विवाद से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में असंतोष फैल गया और मामला विधानसभा तक पहुंच गया।
दोनों पक्षों से मांगे जवाब
जून 2024 में विधानसभा में विपक्ष के नेता उमंग सिंघार ने विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष दलबदल विरोधी याचिका दायर की। उन्होंने आरोप लगाया कि अध्यक्ष ने याचिका पर कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद सिंघार ने उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की। उन्होंने कहा कि यह मामला केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि संवैधानिक गरिमा से भी जुड़ा है। मुख्य न्यायाधीश और न्यायमूर्ति विनय सरावगी की पीठ के समक्ष अदालती सुनवाई हुई और अब दोनों पक्षों से जवाब मांगे गए हैं।
मध्य प्रदेश की राजनीति में हलचल तेज
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला न केवल बीना, बल्कि पूरे मध्य प्रदेश को प्रभावित कर सकता है। यदि अदालत का फैसला याचिकाकर्ता के पक्ष में आता है, तो विधायक निर्मला सप्रे की सदस्यता समाप्त हो सकती है। इस बीच, कांग्रेस इसे जनादेश के साथ विश्वासघात बता रही है, जबकि भाजपा ने चुप्पी साध रखी है। बीना क्षेत्र के मतदाता बेसब्री से फैसले का इंतजार कर रहे हैं कि उनकी विधायक अपनी सीट बरकरार रख पाएंगी या नहीं।