नई दिल्ली। केंद्रीय सड़क परिवहन और हाईवे मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को लोकसभा में बताया कि हाईवे पर मौजूदा टोल कलेक्शन सिस्टम अगले साल के अंदर खत्म कर दिया जाएगा। इसकी जगह पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक, बैरियर-लेस टोल सिस्टम ले लेगा।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!उन्होंने कहा कि नए सिस्टम को 10 जगहों पर पायलट किया गया है और इसे एक साल के अंदर पूरे देश में लागू करने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि अभी देश भर में लगभग 4,500 हाईवे प्रोजेक्ट चल रहे हैं, जिनकी कुल लागत लगभग ₹10 लाख करोड़ है।
पहले, गाड़ियों को कैश या कार्ड से पेमेंट करने के लिए टोल प्लाजा पर रुकना पड़ता था। FASTag आने से टोल प्लाजा पर गाड़ी के रुकने का समय कम हो गया। अब, अगला कदम हाई-टेक, बैरियर-फ्री टोल सिस्टम की ओर है।
अब, टोल प्लाजा पर रुकने की कोई ज़रूरत नहीं है। पैसे अपने आप कट जाते हैं। नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया (NPCI) ने नेशनल इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन (NETC) प्रोग्राम बनाया है। यह पूरे देश के लिए एक जैसा और आपस में जुड़ा हुआ इलेक्ट्रॉनिक टोल प्लेटफ़ॉर्म है। इसका मकसद अलग-अलग हाईवे पर अलग-अलग सिस्टम की परेशानी को खत्म करना और एक ही टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके टोल कलेक्शन को आसान बनाना है।
इस NETC सिस्टम का मेन हिस्सा FASTag है, जो रेडियो फ़्रीक्वेंसी आइडेंटिफ़िकेशन (RFID) टेक्नोलॉजी वाला एक टैग है जिसे गाड़ी की विंडस्क्रीन पर लगाया जाता है। जैसे ही गाड़ी टोल लेन से गुज़रती है, एक सेंसर टैग को पढ़ता है और यूज़र के लिंक्ड बैंक अकाउंट या वॉलेट से पैसे कट जाते हैं।