
नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय ने धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत अवैध सट्टेबाजी ऐप्स मामले की अपनी जांच के तहत टेक दिग्गज कंपनियों मेटा और गूगल के प्रतिनिधियों को तलब किया है और उन्हें सोमवार को अपना बयान दर्ज कराने के लिए यहां पेश होने को कहा है। आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी। दोनों कंपनियों ने अभी तक इस घटनाक्रम पर न तो सार्वजनिक बयान के माध्यम से और न ही एजेंसी को अपनी प्रतिक्रिया दी है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!ईडी अवैध सट्टेबाजी और जुए के लिंक होस्ट करने वाले कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स की जांच कर रहा है, जिसमें विभिन्न इंटरनेट-आधारित सोशल मीडिया आउटलेट्स और ऐप स्टोर्स पर उनके लिए दिए गए विज्ञापनों के मामले भी शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार, टेक दिग्गजों के प्रतिनिधियों ने जांचकर्ताओं को यह समझाने के लिए उनके समक्ष पेश होने का अनुरोध किया है कि ऐसे अवैध प्लेटफॉर्म “उनके सोशल मीडिया और संचार लिंक्स पर विज्ञापन कैसे दे पाते हैं”।
सूत्रों के अनुसार, इन मामलों में खेल और सिनेमा जगत की कुछ हस्तियां भी ईडी की जांच के घेरे में हैं, क्योंकि उनमें से कुछ से पहले ही पूछताछ हो चुकी है और कुछ अन्य को भी एजेंसी द्वारा जल्द ही तलब किए जाने की उम्मीद है।
इससे पहले ईडी ने आधिकारिक बयानों में आरोप लगाया था कि अवैध ऑनलाइन सट्टेबाजी और जुआ प्लेटफ़ॉर्म निर्दोष लोगों की गाढ़ी कमाई को ठग रहे हैं और करोड़ों रुपये की कर चोरी और धन शोधन भी कर रहे हैं।
एजेंसी अवैध ट्रेडिंग और सट्टेबाजी प्लेटफ़ॉर्म में शामिल ‘डब्बा ट्रेडिंग ऐप्स’, जैसे वीमनी, वीएम ट्रेडिंग, स्टैंडर्ड ट्रेड्स लिमिटेड, आईबुल कैपिटल लिमिटेड, लोटसबुक, 11स्टार्स और गेमबेटलीग, की वित्तीय और परिचालन गतिविधियों की जाँच कर रही है। ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ऑनलाइन सट्टेबाजी प्लेटफ़ॉर्म व्हाइट-लेबल ऐप्स के ज़रिए संचालित होते थे और लाभ-साझाकरण के आधार पर एडमिन अधिकारों का आदान-प्रदान किया जाता था। उन्होंने कहा, डिजिटल और वित्तीय रिकॉर्ड के साथ पहचाने गए हवाला ऑपरेटरों और फंड संचालकों की भी जाँच की जा रही है।
अधिकारी ने बताया कि ईडी ने इस साल 9 जनवरी को मध्य प्रदेश के इंदौर के लसूड़िया पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर के आधार पर पीएमएलए के प्रावधानों के तहत भारतीय न्याय संहिता (पूर्व में आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।
अब तक की अपनी जांच में ईडी ने पाया है कि “वीमनी और 11स्टार्स के लाभार्थी मालिक विशाल अग्निहोत्री ने 5 प्रतिशत लाभ-साझाकरण समझौते पर लोटसबुक सट्टेबाजी प्लेटफ़ॉर्म के एडमिन अधिकार हासिल किए। बाद में उन्होंने ये अधिकार धवल देवराज जैन को हस्तांतरित कर दिए, जिससे 0.125 प्रतिशत लाभ उनके पास रहा, जबकि जैन के पास 4.875 प्रतिशत लाभ रहा।
उन्होंने कहा, धवल जैन ने अपने सहयोगी जॉन स्टेट्स उर्फ पांडे के साथ मिलकर एक व्हाइट-लेबल सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म विकसित किया और इसे 11Starss.in चलाने के लिए विशाल अग्निहोत्री को दिया और हवाला ऑपरेटर मयूर पाड्या उर्फ पाड्या नामक एक व्यक्ति ने सट्टेबाजी संचालन के लिए नकद-आधारित फंड ट्रांसफर और भुगतान का काम संभाला।