भोपाल। मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार के मामले कम नहीं हो रहे हैं। लोकल फंड ऑडिट रिपोर्ट 2021-22 की रिपोर्ट में राज्य भर के नगर निकायों में हुई गड़बड़ियों का खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में कई नगर निकायों में गड़बड़ियों का भी खुलासा हुआ है, जो ऐसी यूनिट्स के कामकाज को दिखाता है। ज़्यादा पेमेंट और डबल पेमेंट के मामले भी सामने आए हैं।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!रीवा, उज्जैन और रतलाम में नगर निगमों ने एक्स्ट्रा पेमेंट किए हैं। एक्स्ट्रा पेमेंट के उदाहरण दमुआ और कोटमा नगर परिषदों से मिले हैं। इसी तरह, नीमच और कई दूसरी नगर पालिकाओं ने एक्स्ट्रा पेमेंट किए। इन नगर निकायों ने कॉन्ट्रैक्टर्स को और दूसरे कामों के लिए एक्स्ट्रा पेमेंट किए। रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई कि बिना किसी वजह के 29 करोड़ रुपये का पेमेंट किया गया था।
प्रधानमंत्री आवास योजना, अलग-अलग खरीदारी, पेड़-पौधे लगाने और दूसरे कामों में गलत पेमेंट किए गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, देवास नगर निगम, डबरा नगर पालिका और चंदेरी और कोठरी नगर परिषदों ने डबल पेमेंट किया। एक ही काम के लिए 59 लाख रुपए का पेमेंट दो बार किया गया। इसी तरह, सैलरी और ट्रैवलिंग अलाउंस के लिए 7 करोड़ रुपए से ज़्यादा का पेमेंट किया गया। सात नगर निगमों ने अपनी बैलेंस शीट में दिखाई गई रकम से कम रकम बैंकों में ट्रांसफर की।
ऑडिटर ने इसे गंभीर फाइनेंशियल गड़बड़ी बताया है। छिंदवाड़ा, रीवा, सतना, रतलाम, मुरैना, इंदौर और खंडवा नगर निगमों में भी फाइनेंशियल गड़बड़ियां पाई गईं। 15 नगर पालिकाओं और 13 नगर परिषदों के अकाउंट में भी गड़बड़ियां पाई गईं। रिपोर्ट में यह भी पता चला कि कई शहरी निकायों को चेक बाउंस होने की वजह से 7.70 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
नगर निकायों को दिए गए चेक बाउंस हो गए और पैसे वापस नहीं मिले। मोबाइल टावरों से 2.50 करोड़ रुपये से ज़्यादा की रकम बिना वसूले पड़ी है। इस वजह से, नगर निगमों को भारी नुकसान हुआ है। लोकल फंड ऑडिट रिपोर्ट में ज्यादातर नगर निगमों, नगर पालिकाओं और नगर परिषदों में किसी न किसी तरह की गड़बड़ियां पाई गई हैं। रिपोर्ट में पेमेंट करने में एक बड़े स्कैम का पता चला है।