
भोपाल। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (पीएचईडी) की मंत्री सम्पतिया उइके के खिलाफ 1000 करोड़ रुपए के भ्रष्टाचार के आरोप ने गंभीर रूप ले लिया है। उइके ने मंगलवार को कैबिनेट में यह मामला उठाया और कहा कि विभाग के इंजीनियर-इन-चीफ (ई-इन-सी) द्वारा दिए गए जांच के आदेश से उनकी छवि धूमिल हुई है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!उन्होंने मुख्यमंत्री मोहन यादव से इंजीनियर-इन-सी और शिकायतकर्ता किशोर समरीते के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की। मंत्रियों ने उइके का समर्थन करते हुए कहा कि निराधार शिकायत की जांच का आदेश देना सही नहीं है। मंत्री जानना चाहते थे कि क्या किसी अधिकारी को मंत्री के खिलाफ जांच का आदेश देने का अधिकार है। सूत्रों के अनुसार, राज्य सरकार इंजीनियर-इन-सी संजय अंधवान को कारण बताओ नोटिस जारी कर उनसे स्पष्टीकरण मांग सकती है।
मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए उइके ने कहा कि वह सही थीं। उइके ने कहा कि वह एक आदिवासी महिला हैं और एक गरीब मजदूर परिवार से आती हैं, उन्होंने कहा कि वह जांच का सामना करने के लिए तैयार हैं।
उइके के अनुसार, शिकायत करने वाला व्यक्ति उन्हें परेशान कर रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार निष्पक्ष है और अगर किसी मंत्री के खिलाफ कोई शिकायत है भी तो सरकार अपना काम करती है।
उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला ने कहा कि उइके ने मामले की जानकारी कैबिनेट को दे दी है। शुक्ला ने कहा कि उनके खिलाफ शिकायत निराधार है और मुख्यमंत्री ने इसे गंभीरता से लिया है। शुक्ला ने कहा, अगर इं-इन-सी की ओर से कुछ भी गलत है, तो सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करेगी।
पूर्व विधायक किशोर समृते ने प्रधानमंत्री को संपतिया उइके और पीएचईडी के दो अधिकारियों बीके सोनगरिया और मनोज भास्कर के खिलाफ पत्र लिखा। प्रधानमंत्री कार्यालय ने पत्र मुख्य सचिव के कार्यालय को भेजा, जिसने पत्र को पीएचईडी को भेज दिया। पीएचईडी के इं-इन-सी ने शिकायत की जांच के आदेश दिए, जिससे बवाल मच गया।