
नई दिल्ली। देश में बाल विवाह रोकने के लिए सख्त कानूनों के बावजूद स्थिति लगातार चिंताजनक होती जा रही है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में बाल विवाह के लिए 16,737 लड़कियों और 129 लड़कों का अपहरण किया गया।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!रिपोर्ट के अनुसार, 2022 की तुलना में 2023 में बाल विवाह के मामले छह गुना बढ़ गए। 2023 में 6,038 मामले दर्ज किए गए, जबकि 2022 में केवल 1,002 और 2021 में 1,050 मामले दर्ज किए गए।
इस प्रकार पिछले तीन वर्षों में बाल विवाह के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। सबसे अधिक मामले असम में दर्ज किए गए, जहाँ अकेले 5,267 मामले दर्ज किए गए। यह देश भर में दर्ज कुल मामलों का लगभग 90% है।
इसके अलावा तमिलनाडु में 174, कर्नाटक में 145 और पश्चिम बंगाल में 118 मामले दर्ज किए गए। इस बीच, छत्तीसगढ़, नागालैंड, लद्दाख और लक्षद्वीप में 2023 तक कोई भी मामला दर्ज नहीं किया गया।
कानून में विवाह तय करने वालों के लिए सज़ा का भी प्रावधान है। रिपोर्ट के बाद विशेषज्ञों का कहना है कि ये आंकड़े दर्शाते हैं कि बाल विवाह के विरुद्ध कानूनों के बावजूद, जमीनी स्तर पर जागरूकता बढ़ाने और सख्त कार्रवाई की अभी भी आवश्यकता है। दुनिया के एक-तिहाई बाल विवाह भारत में होते हैं।
बाल विवाह निषेध अधिनियम—2006, 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की और 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के के विवाह पर प्रतिबंध लगाता है। इसके अलावा विवाह तय करने या विवाह में सहायता करने वालों के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जाती है।
भारत में 2 वर्षों में 400,000 बाल विवाह रोके गए
26 सितंबर को जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन की रिपोर्ट “टिपिंग पॉइंट टू जीरो: एविडेंस टुवर्ड्स ए चाइल्ड मैरिज-फ्री इंडिया” संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान एक कार्यक्रम में जारी की गई। इसमें दावा किया गया कि भारत ने बाल विवाह रोकने में उल्लेखनीय प्रगति की है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2013 से अब तक 4,00,000 बाल विवाह रोके जा चुके हैं। बाल विवाह रोकथाम अधिनियम लागू होने के बाद से यह सबसे बड़ी संख्या है। तीन वर्षों में बाल विवाह में 69% की कमी आई है। वास्तव में 2013 में संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा था कि इसी दर से इस बुराई को मिटाने में 300 वर्ष लगेंगे।