भोपाल। संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मध्य प्रदेश सरकार और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह को नोटिस जारी कर चार हफ्तों में जवाब मांगा। शीर्ष अदालत ने पूछा कि इस साल की शुरुआत में सागर जिले में हाई-टेंशन तार से करंट लगने के बाद एक नाबालिग लड़के के 70% विकलांग होने के मामले में एफआईआर क्यों दर्ज नहीं की गई।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!पीड़ित मानस के पिता राकेश शुक्ला द्वारा दायर याचिका के अनुसार, यह घटना तब हुई जब बच्चा 1 जनवरी को खुरई में एक खेल के मैदान के पीछे अवैध रूप से रखे गए कुचल पत्थर के ढेर पर अपनी गेंद लेने के लिए चढ़ गया।
कथित तौर पर कुचल पत्थर का यह ढेर एक अनधिकृत खनन कंपनी के मालिक और खुरई के मौजूदा विधायक सिंह के भतीजे लाखन सिंह ने वहां रखा था।
याचिकाकर्ता ने कहा कि सिंह के राजनीतिक प्रभाव के कारण मध्य प्रदेश राज्य में कानूनी सहायता प्राप्त करना असंभव हो गया है। अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित, उन्होंने कहा कि उनके विकलांग बच्चे के लिए सहायता और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के निर्देशों के क्रियान्वयन की तत्काल आवश्यकता है।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए अधिवक्ता शशांक रत्नू ने कहा, याचिकाकर्ता ने सर्वोच्च न्यायालय से हस्तक्षेप और सुरक्षा की मांग की है। एनएचआरसी के हस्तक्षेप के बाद भी प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है। आखिरकार, अवैध खनन से कुचले हुए पत्थरों के ढेर के कारण हाई-टेंशन तार के संपर्क में आने से लड़का 70% विकलांग हो गया।