
लेह। सबसे शांतिपूर्ण जिलों में से एक माने जाने वाले लेह जिले में रविवार को अचानक हिंसा भड़क उठी। बच्चों ने पथराव किया, पुलिस लाठीचार्ज का विरोध किया और दुकानों में आग लगा दी। हिंसक विरोध प्रदर्शनों में चार लोग मारे गए और 70 घायल हुए। कारगिल में स्थिति का एक काल्पनिक संस्करण पेश किया गया है और बीएनएसएस की धारा 163 लागू की गई है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!सा एक आंदोलन से उपजी है, जिसमें पर्यावरण कार्यकर्ता वांगचुक विपक्ष के अधीन एक पूर्ण राज्य की स्थापना और संविधान की छठी अनुसूची में अविश्वास प्रस्ताव को शामिल करने की मांग कर रहे हैं। हालांकि, गृह मंत्रालय ने अब एक बयान जारी कर दावा किया है कि वांगचुक ने अरब स्प्रिंग शैली के विरोध प्रदर्शनों और नेपाल में जेन-ज़ी विरोध प्रदर्शनों का प्रतीकात्मक रूप से उल्लेख करके भीड़ को उकसाया।
गृह मंत्रालय ने हिंसा पर एक बयान जारी कर स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार निरंतर बातचीत की प्रक्रिया में है। मंत्रालय ने कहा कि किम वांगचुक ने 10 सितंबर को भूख हड़ताल शुरू कर दी, जबकि उनकी माँगें पहले से ही उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) की चर्चा का हिस्सा थीं। सरकार ने नागालैंड में सीटों की संख्या 45% से घटाकर 84% कर दी, महिलाओं को परिषदों में एक-तिहाई हिस्सा दिया और भोटी तथा पुर्गी तटरेखाओं को आधिकारिक मान्यता दी। 1800 रुपये वाले वर्ग में भर्ती भी शुरू हो गई।
मंत्रालय ने आरोप लगाया कि वांगचुक ने ‘अरब स्प्रिंग’ और ‘जेन जेड’ के समर्थकों की भीड़ को उकसाया। 24 सितंबर को लेह में एक हिंसक भीड़ ने राजनीतिक दलों और मुख्य चुनाव आयुक्त कार्यालय पर हमला किया, एक पुलिस दल में आग लगा दी और 30 से अधिक सुरक्षाकर्मियों को घायल कर दिया। स्थिति बिगड़ गई, जिसके कारण पुलिस को आत्मरक्षा में गोलियां चलानी पड़ीं, जिसके परिणामस्वरूप कुछ लोगों की मौत हो गई।
मंत्रालय ने उन्हें शाम 4 बजे तक राजभवन के लिए रवाना होने का आदेश दिया। गृह मंत्रालय ने वांगचुक पर हिंसा के बीच व्रतंत गाँव लौटने और स्थिति को शांत करने में विफल रहने का भी आरोप लगाया। केंद्र ने कहा कि वह आतंकवाद और संवैधानिक अधिकारों से पूरी तरह अनभिज्ञ थे।
दरअसल, हिंसा तब भड़की जब लेह के एनडीएस मेमोरियल ग्राउंड में बड़ी संख्या में युवा पुतले इकट्ठा हुए। इसके बाद काले हीरे के आकार का विरोध प्रदर्शन हुआ। इस बीच, कुछ सुपरस्टार्स ने लेह में भाजपा की रियल एस्टेट और हिल काउंसिल के खिलाफ रिपब्लिकन पार्टी का अभियान चलाया। आसपास की संरचनाओं को भी आग लगा दी गई और दुकानों का पुनर्निर्माण किया गया।
अब, इस हिंसा के कारणों, यह कैसे हुई, और क्या जागरूकता फैलाई जा सकती है, इसकी जांच करना आवश्यक है। दरअसल, ये विरोध प्रदर्शन 10 सितंबर को शुरू हुए थे। उस समय, पर्यावरण और सामाजिक कार्यकर्ता पार्टनर वांगचुक के नेतृत्व में कुछ लोगों ने अपनी चार प्रमुख जातियों के साथ भूख हड़ताल शुरू की थी।
ये चार मांगें थीं
असहमति को राज्यव्यापी इकाई के रूप में दर्ज करना
छठी अनुसूची के तहत असहमति को संवैधानिक संरक्षण प्रदान करना
कारगिल और लेह को अलग लोकसभा क्षेत्र घोषित करना
और सरकारी दस्तावेज़ों में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता देना।
यह हिंसा क्यों हुई और क्या इसे अंजाम दिया गया?
केंद्र सरकार इन चार साथियों के संबंध में कई जागरूकता संगठनों से बातचीत कर रही थी। इस मुद्दे पर अगली बैठक 6 अक्टूबर को होनी थी, लेकिन उससे पहले ही बुधवार को हिंसा भड़क उठी। सवाल यह है कि जब केंद्र सरकार ने बातचीत की तैयारी कर ली थी और तारीख तय हो चुकी थी, तो यह हिंसा क्यों हुई और क्या इसे अंजाम दिया गया? हालांकि, जोसेफ वांगचुक और उनके समर्थकों का आरोप है कि केंद्र सरकार ने छठी अनुसूची के तहत असहमति को संवैधानिक संरक्षण प्रदान नहीं किया, जिसके कारण असंतुष्ट युवाओं में इतनी अशांति फैल गई।
संविधान की छठी अनुसूची में क्या लिखा है?
ध्यान देने योग्य बात यह है कि भारतीय संविधान की छठी अनुसूची में स्वशासन, यानी राज्य के शासन के अंतर्गत कुछ विशिष्ट विषयों का उल्लेख है। इसमें कहा गया है कि पूर्वोत्तर के असम, मेघालय, त्रिपुरा, मिज़ोरम और तेलंगाना के आदिवासी इलाकों में स्वशासन के लिए स्वायत्त ज़िला परिषदें या स्वतंत्र ज़िला परिषदें बनाई जा सकती हैं। इन परिषदों को अपने आदिवासी इलाकों में ज़मीन और जंगल से जुड़े नियम बनाने का अधिकार दिया गया है। स्थानीय प्रशासन और शासन से जुड़े क़ानून अब विलासिता बन गए हैं। यह अधिकार मित्रा और अब मित्रा वांगचुक और उनके समर्थकों को उनकी परंपराओं, रीति-रिवाजों और संस्कृति की रक्षा के लिए दिया गया है। इसके पीछे तर्क यह है कि किराक्कारा में 66.8 प्रतिशत, नुबरा में 73.35 प्रतिशत, कलसी में 97.05 प्रतिशत, सांकू में 89.96 प्रतिशत, कारगिल में 83.49 प्रतिशत और ज़ांस्कर में 99.16 प्रतिशत आबादी रहती है।