भोपाल। भाजपा शासित राज्य के विंध्य क्षेत्र के अपने दो दिवसीय दौरे के अंतिम दिन पूर्वी मध्य प्रदेश के सतना जिले में एक सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को एक राष्ट्र के रूप में भारत की एकता पर जोर दिया।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!संघ प्रमुख भागवत ने कहा, “कई सिंधी भाई यहां बैठे हैं। मुझे बहुत खुशी है कि वे पाकिस्तान नहीं गए। वे अविभाजित भारत में आए। यह बात नई पीढ़ी को बतानी चाहिए, क्योंकि हमारा एक ही घर है। परिस्थितियों ने हमें उस घर से यहां भेजा होगा, लेकिन वह ‘घर’ और यह ‘घर’ अलग नहीं हैं।” उन्होंने कहा, “पूरा भारत एक ही घर है, लेकिन किसी ने हमारे घर के एक कमरे पर कब्जा कर लिया है, जहां हम अपनी मेज, कुर्सी और कपड़े रखते थे। हमें इसे वापस लेना होगा।”
एकता का आह्वान करते हुए संघ प्रमुख भागवत ने जोर देकर कहा, “हम सब एक हैं, सभी सनातन और हिंदू। अंग्रेजों ने हमें टूटा हुआ आईना दिखाकर विभाजित किया, लेकिन अब हमें एक अच्छे आईने में देखकर एकजुट होना होगा। अगर हम आध्यात्मिक परंपराओं वाले आईने में देखेंगे, तो हम निश्चित रूप से एक ही नजर आएंगे।”
नवनिर्मित बाबा मेहर शाह दरबार भवन के उद्घाटन समारोह में बोलते हुए आरएसएस प्रमुख ने जोर देकर कहा, “भारत की सभी भाषाएं हमारी राष्ट्रीय भाषाएं हैं, और प्रत्येक नागरिक को कम से कम तीन भाषाएं आनी चाहिए।”
भागवत ने कहा, “यहां तक कि जो लोग जोर—जोर से कहते हैं कि वे हिंदू नहीं हैं, जब वे विदेश जाते हैं, तो दुनिया उन्हें या तो हिंदुओं से उत्पन्न मानती है या उन्हें हिंदू/हिंदवी कहती है।” लोगों से अपने समृद्ध धर्म और परंपराओं को न छोड़ने का आग्रह करते हुए उन्होंने कहा, “अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए अपने धर्म को मत छोड़ो। इसके बजाय, अपने अहंकार को त्यागो और स्वयं को पहचानो। अगर हम देश के स्व को आगे बढ़ाएंगे, तो हमारे सभी स्वार्थ पूरे हो जाएंगे।”
संघ प्रमुख भागवत ने कहा कि “अपने घरों की चारदीवारी के भीतर, और यदि संभव हो तो दुनिया भर में, यदि विश्वव्यापी नहीं तो अपने घरों के भीतर, हमें अपनी भाषा, वेशभूषा, भजन, भवन, यात्रा और भोजन, जो सभी हमारे हैं, पर गर्व करना चाहिए और उनकी रक्षा करनी चाहिए, जो हमारी परंपरा के अनुसार हमारे हैं।”
देश में भाषाओं को लेकर बढ़ते विवाद के बीच, आरएसएस प्रमुख ने कहा, “सभी भारतीय भाषाएं हमारी राष्ट्रीय भाषां हैं।” उन्होंने प्रत्येक नागरिक के लिए त्रिभाषा मंत्र दिया। उन्होंने कहा, “प्रत्येक नागरिक को कम से कम तीन भाषाएं आनी चाहिए—घर की भाषा (मातृभाषा), राज्य की भाषा और एक राष्ट्रीय भाषा।”