बीजिंग। सीमा विवाद के कारण पांच साल के तनाव के बाद हाल ही में चीन और भारत के बीच संबंधों में सुधार हुआ है। दोनों देशों के नेताओं की मुलाक़ात भी हुई है, लेकिन चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। वह भारत की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाने के साथ-साथ पीठ में छुरा घोंपने की कोशिश भी कर रहा है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!उपग्रह चित्रों से पता चलता है कि चीन पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के पूर्वी तट पर एक सैन्य परिसर का निर्माण कर रहा है, जिसके जल्द ही पूरा होने की उम्मीद है। यह परिसर पाँच साल पहले सीमा विवाद वाले बिंदु से सिर्फ़ 110 किलोमीटर दूर है। ज़रूरत पड़ने पर यह चीनी सेना को भविष्य में बढ़त दिला सकता है।
उपग्रह चित्रों पर नज़र रखने वाले आधिकारिक हैंडल ‘@detresfa_’ ने एक तस्वीर पोस्ट की है। उस पोस्ट में उन्होंने लिखा था, “चीन पैंगोंग झील के पूर्वी तट पर एक सैन्य परिसर का निर्माण कार्य पूरा होने वाला है, जिसमें गैरेज, एक ऊँची इमारत और सुरक्षित भंडारण सुविधा होगी। यह स्थल एक चीनी रडार परिसर से सटा हुआ है और इसका उपयोग एसएएम पोज़िशन या अन्य हथियारों से संबंधित स्थल के रूप में किया जा सकता है।” तस्वीर से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि यह एक चीनी वायु रक्षा परिसर है, जिसमें एक कमांड और नियंत्रण भवन, सैन्य वाहनों के लिए एक शेड और गोला-बारूद भंडारण सुविधा शामिल है।
इंडिया टुडे ने अपनी रिपोर्ट में विशेषज्ञों के हवाले से बताया कि इन सुविधाओं की सबसे दिलचस्प विशेषता ढकी हुई मिसाइल प्रक्षेपण पोज़िशन का एक समूह है। माना जाता है कि इनमें ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर वाहनों के लिए वापस लेने योग्य छतें हैं, जो मिसाइलों को ले जा सकती हैं और ज़रूरत पड़ने पर उन्हें दाग सकती हैं।
ये आश्रय स्थल चीन की HQ-9 लंबी दूरी की वायु रक्षा प्रणाली को छिपाने और उसकी सुरक्षा करने में उपयोगी साबित हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त, तस्वीर में मिसाइल प्रक्षेपण स्थल के ऊपर स्लाइडिंग छतें दिखाई दे रही हैं, जिनमें से प्रत्येक में दो वाहन रखे जा सकते हैं।
पांच साल के तनाव के बाद मोदी और जिनपिंग की मुलाकात
भारत और चीन के बीच 2020 में पूर्वी लद्दाख सीमा पर तनाव चरम पर पहुंच गया था। गलवान घाटी में हुई हिंसा में कई भारतीय सैनिक शहीद हुए थे और चीनी सैनिक भी मारे गए थे। भारत और चीन के सैनिक लंबे समय तक गतिरोध वाले बिंदुओं पर आमने-सामने रहे। हालाँकि, बाद में कूटनीतिक और राजनीतिक स्तर पर तनाव कम करने के प्रयास किए गए।
दोनों देशों के सैनिक गतिरोध वाले बिंदुओं से हट गए और अगस्त-सितंबर में चीन के तियानजिन में आयोजित एससीओ शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात हुई। अमेरिका के साथ तनाव के बीच, माना जा रहा था कि भारत और चीन फिर से करीब आ सकते हैं। इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी, रूसी राष्ट्रपति पुतिन और शी जिनपिंग की तस्वीर ने दुनिया भर में काफी चर्चा बटोरी थी।