
भोपाल। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर की मुख्य पीठ ने नर्सिंग घोटाले में अपना आदेश जारी किया है। सीबीआई अब अपनी जांच से जुड़ी फाइलों की जांच करेगी और राज्य सरकार इस संबंध में केंद्रीय जांच एजेंसी के साथ सहयोग करेगी।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को नर्सिंग कॉलेजों की जांच से जुड़ी सभी फाइलों की जांच में सीबीआई के साथ सहयोग करने और याचिकाकर्ता को एक प्रति प्रदान करने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन और न्यायमूर्ति अनुराधा शुक्ला की खंडपीठ ने मध्य प्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए विधि छात्र संघ के अध्यक्ष विशाल बघेल द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश पारित किया।
सीबीआई ने एक आवेदन दायर कर अदालत को बताया था कि उसके पास 800 कॉलेजों के 1 लाख से ज़्यादा दस्तावेज़ हैं। सीबीआई के पास इतनी बड़ी संख्या में दस्तावेज़ों को स्कैन करने के लिए संसाधन और मानव संसाधन नहीं हैं और अगर डेटा उपलब्ध कराया भी जाता है, तो उसके दुरुपयोग की संभावना है। इसलिए, डेटा स्कैन करके उपलब्ध नहीं कराया जा सकता।
इसके जवाब में याचिकाकर्ता ने सेंधवा नर्सिंग कॉलेज का उदाहरण दिया, जिसे सीबीआई जांच में दो बार उपयुक्त पाया गया था और कहा कि कॉलेज के शिक्षकों की मार्कशीट फ़र्ज़ी हैं। हालांकि, यह कॉलेज को सीबीआई से क्लीनचिट पाने से नहीं रोक पाया। जब सीबीआई ने इस तर्क पर आपत्ति जताई, तो याचिकाकर्ता ने अदालती सुनवाई में नर्सिंग काउंसिल के पोर्टल पर अपलोड की गई फ़र्ज़ी मार्कशीट दिखाई।
न्यायाधीशों ने फ़र्ज़ी मार्कशीट डाउनलोड भी की और इस पर आश्चर्य व्यक्त किया। गुरुवार की सुनवाई में याचिकाकर्ता ने फिर से सीबीआई से डेटा की मांग की और अदालत को बताया गया कि सीबीआई जांच में उपयुक्त घोषित किए गए कॉलेजों से संबंधित रिकॉर्ड देखे बिना अपना पक्ष रखना संभव नहीं है।