
—ग्वालियर में संविधान सत्याग्रह, 6 घंटे का रखा उपवास
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!ग्वालियर। मध्य प्रदेश भाजपा ने आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाया। इस बीच कांग्रेस ने मध्य प्रदेश के ग्वालियर में ‘संविधान सत्याग्रह’ किया और डॉ. बीआर अंबेडकर की प्रतिमा स्थापित करने में देरी के विरोध में 6 घंटे का उपवास रखा। इस विरोध प्रदर्शन में कई वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के साथ-साथ बड़ी संख्या में दलित नेताओं ने भी हिस्सा लिया। मंच से उन्होंने भाजपा और आरएसएस की जमकर आलोचना की और अंबेडकर की प्रतिमा को तत्काल स्थापित करने की मांग की, जो उच्च न्यायालय की ग्वालियर पीठ में कानूनी विवाद के कारण महीनों से लंबित है।
‘एमपी अत्याचारों का केंद्र बन गया है’
कार्यक्रम में पटवारी ने भाजपा पर हमला करते हुए कहा, “भाजपा अपने पापों को छिपाने के लिए काला दिवस मना रही है। मध्य प्रदेश दलितों के खिलाफ अत्याचार का केंद्र बन गया है। महिलाएं लापता हैं और अन्याय बढ़ रहा है। क्या यह काला दिवस नहीं है? मोदी ने 12-13 सरकारें गिरा दीं, 600 से अधिक विधायक खरीदे और संसद को बाजार में बदल दिया।
अगर यह लोकतंत्र की हत्या नहीं है, तो क्या है?” पटवारी ने यह भी कहा कि अंबेडकर और कांग्रेस के बीच “फेविकोल की तरह” अटूट रिश्ता है, जो संविधान और सामाजिक न्याय के मूल्यों के प्रति पार्टी की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
भाजपा बनाम कांग्रेस
दूसरी ओर भाजपा ने आपातकाल की वर्षगांठ पर देश भर में सेमिनार आयोजित किए। वरिष्ठ भाजपा नेता और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सरोज पांडे ने कांग्रेस के सत्याग्रह को झूठा बताते हुए दोहराया कि यह कांग्रेस ही थी, जिसने 1975 में आपातकाल लगाया और संविधान का उल्लंघन किया।
इस बीच कांग्रेस नेताओं ने अपने विरोध मंच से यह स्पष्ट कर दिया कि उनकी लड़ाई किसी जाति के खिलाफ या किसी जाति के समर्थन में नहीं है, बल्कि संविधान और डॉ अंबेडकर की विरासत की रक्षा के लिए है।
हालांकि, मूर्ति का मामला अभी भी न्यायिक विचाराधीन है, लेकिन इसे लेकर राजनीति तेज होती जा रही है। मध्य प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही अगले चुनाव से पहले संविधान और दलित वोट बैंक के इर्द-गिर्द खुद को खड़ा करती दिख रही हैं।