
भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने सोमवार को दो महत्वपूर्ण मामलों में सुप्रीम कोर्ट से और समय मांगा है, इनमें 27% ओबीसी आरक्षण का कार्यान्वयन और राज्य सेवाओं में 87:13 भर्ती फॉर्मूले पर अंतरिम रोक हटाना शामिल है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!पिछली सुनवाई में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने राज्य के पक्ष में दलीलें रखी थीं। हालांकि, इस बार वे पेश नहीं हुए। इसके बजाय मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने वरिष्ठ अधिवक्ता केएम नटराज के साथ राज्य का प्रतिनिधित्व किया और अतिरिक्त समय का अनुरोध किया। सुप्रीम कोर्ट ने अनुरोध स्वीकार कर लिया और अगली सुनवाई 12 अगस्त के लिए निर्धारित की।
अदालत दो संबंधित मुद्दों पर सुनवाई कर रही थी। इनमें भर्तियों में 87:13 फॉर्मूले की वैधता और ओबीसी के लिए 27% आरक्षण के लंबित कार्यान्वयन। 13% सीटों पर रोक लगाने वाले अंतरिम स्थगन से प्रभावित अभ्यर्थियों ने एक आवेदन दायर कर अदालत से स्थगन हटाने का आग्रह किया था। आवेदन में विशेष रूप से 4 मई, 2022 के अंतरिम आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी।
प्रभावित अभ्यर्थियों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर ठाकुर ने कहा कि मामले में कई बार देरी हो चुकी है। उन्होंने कहा कि पिछली सुनवाई में सॉलिसिटर जनरल ने 27% आरक्षण का समर्थन किया था, लेकिन नवीनतम सुनवाई में राज्य के प्रतिनिधित्व ने और समय मांगा।