
भोपाल। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट जबलपुर की मुख्य पीठ ने गुरुवार को मध्य प्रदेश सरकार से राज्य कर्मचारियों के लिए अपनी प्रमोशन पॉलिसी का आधार स्पष्ट करने को कहा है। हाईकोर्ट ने पूछा, क्या यह राज्य की जनसंख्या जनगणना पर आधारित है या राज्य में कार्यरत कर्मचारियों की संख्या पर आधारित है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने जवाब देने के लिए और समय मांगा और कहा कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सरकार की ओर से व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होंगे।
सरकार ने 17 जून 2025 को राज्य सरकार के कर्मचारियों और अधिकारियों के प्रमोशन के लिए नए नियमों को मंजूरी दी थी। ये नियम लगभग नौ वर्षों से लंबित थे। इस नीति में पदोन्नति में आरक्षण का प्रावधान भी शामिल है, जिसे सपाक्स ने उच्च न्यायालय में दायर तीन अलग-अलग याचिकाओं के माध्यम से चुनौती दी है।
मामले में एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए अधिवक्ता सुयश मोहन गुरु ने बताया कि उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को स्पष्ट रूप से यह बताने का निर्देश दिया है कि हाल ही में स्वीकृत पदोन्नति नीति जनगणना के आंकड़ों से जुड़ी है या राज्य में वर्तमान में कार्यरत कर्मचारियों की वास्तविक संख्या से जुड़ी है। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा सपाक्स द्वारा दायर याचिकाओं का केंद्रबिंदु है।
कार्यवाही के दौरान सरकार ने एक बार फिर अदालत में अपना विस्तृत जवाब तैयार करने और पेश करने के लिए अतिरिक्त समय का अनुरोध किया। पीठ ने अनुरोध स्वीकार कर लिया और सुनवाई की अगली तारीख 9 सितंबर तय की, जब अदालत को उम्मीद है कि सरकार अपना पूरा पक्ष रखेगी।