
नई दिल्ली। लदृाख में चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच पर्यावरण कार्यकर्ताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं से जुड़े सोनम वांगचुक अब गंभीर वित्तीय धोखाधड़ी के आरोपों का सामना कर रहे हैं। सरकारी दस्तावेज़ों का दावा है कि उनके एनजीओ और निजी संस्थानों में बड़े पैमाने पर साज़िशें पाई गई हैं। आरोप है कि वांगचुक ने जन आंदोलन के दौरान न केवल कानून का उल्लंघन किया, बल्कि निजी लाभ के लिए विदेशी धन का भी दुरुपयोग किया।
दाखिल वांगचुक की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जल्द ही उनके एनजीओ, SECMOL के खिलाफ FEMA (संघीय कानून) के तहत जांच शुरू कर सकता है। SECMOL पर विदेशी दानदाताओं और डॉक्टरों को सही जानकारी न देने और FCRA कानून के बारे में जानकारी न देने का आरोप है। उस पर विदेशों से प्राप्त धन वापस न करने का भी आरोप है। इस बीच आज गृह मंत्रालय ने वांगचुक का एफसीआरए नामांकन रद्द कर दिया, जो उनके खिलाफ कई गंभीर कार्रवाइयों का हिस्सा है।
हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स (HIAL): HIAL को मिले दान ने रिकॉर्ड तोड़ दिया है। 2023-24 में 6 करोड़ से बढ़कर 2024-25 में 15 करोड़ से ज़्यादा हो गया है। संस्थान के 7 बैंक खाते हैं, जिनमें से चार की घोषणा नहीं की गई है। HIAL को बिना FCRA पंजीकरण के 1.5 करोड़ रुपए से ज़्यादा का विदेशी धन प्राप्त हुआ। HIAL से मिले 6.5 करोड़ रुपए शेषायन इनोवेशन प्राइवेट लिमिटेड में निवेश किए गए।
एक्टिव एजुकेशनल एंड कल्चरल लीव ऑफ माइंड (SECMOL): इस संस्थान के 9 बैंक खाते हैं, जिनमें से छह की घोषणा नहीं की गई है।
शेषायन इनोवेशन प्राइवेट लिमिटेड : वित्त वर्ष 2024-25 में कंपनी का कारोबार 9.85 करोड़ रुपए था, लेकिन शुद्ध लाभ केवल 1.14% रहा, जबकि 2023-24 में यह 6.13% था।
मासूम वांगचुक (व्यक्तिगत): मासूम वांगचुक के 9 निजी बैंक खाते हैं, जिनमें से 8 की घोषणा नहीं की गई है। 2018 से 2024 तक विभिन्न खातों में 1.68 करोड़ मूल्य की विदेशी धनराशि जमा की गई।
2021 और मार्च 2024 के बीच वांगचुक ने अपने निजी खाते से 23 मिलियन विदेश में स्थानांतरित किए, जिनमें से अधिकांश अज्ञात स्रोतों में चले गए। यह लेनदेन मनी लॉन्ड्रिंग के जोखिम को पुष्ट करता है।
सीएसआर फंडिंग: सोनम वांगचुक ने इंकलाबी जगत की सार्वजनिक रूप से आलोचना की है, लेकिन सरकारी अधिकारियों का कहना है कि उनके संगठन को कई बड़ी कंपनियों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) से सीएसआर फंडिंग मिली है। इस एनजीओ की निजी बैंकों में भी अच्छी-खासी हिस्सेदारी है।