एमपी की 'लाडली बहनों' के चेहरे पर आएगी मुस्कान, खाते में आने वाली है किस्त जानें कब निकाल सकती हैं?
-रजिस्ट्रार फर्म एवं संस्थाएं के अफसर नहीं कर रहे कार्रवाई
भोपाल। मप्र के एक बर्खास्त पंचायत सचिव ने पंचायत विभाग की टेंशन बढ़ा रखी है। इससे बचने के लिए पंचायत राज संचालनालय के संचालक सहआयुक्त को सामने आना पड़ा है। मामला पंचायत सचिव संगठन से जुड़ा है। उक्त बर्खास्त सचिव अभी भी उक्त संगठन का खुद को अध्यक्ष बताकर सचिवों के मामलों को लेकर विभागों में पहुंच रहे हैं। इसी बात से संचालक सहआयुक्त ने रजिस्ट्रार फर्म एवं संस्थाएं को पत्र लिखकर कार्रवाई के लिए कहा है।
2018 में बर्खास्त किए जा चुके हैं सचिव
पंचायत राज संचालनालय के संचालक सह आयुक्त छोटे सिंह ने दिनेश शर्मा के खिलाफ रजिस्ट्रार फर्म एवं संस्थाएं को लिखे पत्र में बताया कि दिनेश शर्मा 2018 में पंचायत सचिव के पद से बर्खास्त किए जा चुके हैं, तब भी कार्यालय में पंचायत सचिव संगठन के अध्यक्ष के रूप में पत्राचार कर रहे हैं, उनके खिलाफ प्रकरण भी दर्ज, वसूली जैसी गंभीर शिकायतें मिल रही हैं। शासकीय सेवा से बर्खास्त किए जाने के बाद वह संघ के बतौर अध्यक्ष पत्राचार कर रहे हैं, जो नहीं कर सकते। उनके खिलाफ दूसरी भी शिकायतें मिल रही है, इसलिए कार्रवाई करें।
शर्मा के रिश्तेदारों की संपत्ति जब्त कर सकता है आयकर
एक महीने बाद भी कार्रवाई नहीं
संचालक सहआयुक्त के पत्र के बावजूद रजिस्ट्रार फर्म एवं संस्थाएं के रजिस्ट्रार कार्रवाई करने से बच रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि उक्त संगठन को ही अपनी ओर से दिनेश शर्मा को हटाना चाहिए और सूचना देनी चाहिए। उधर, उक्त संगठन के नए अध्यक्ष बनाए गए नरेन्द्र राजपूत का कहना है कि उन्होंने रजिस्ट्रार फर्म एवं संस्थाएं के अफसरों को सब कुछ लिखित में बताया है, लेकिन अधिकारी तब भी दिनेश शर्मा के खिलाफ कार्रवाई करने से बच रहे हैं, जबकि दिनेश शर्मा के खिलाफ उन्हें कोई पत्राचार ही नहीं करना चाहिए।
ट्रांसपोर्ट कमिश्नर गुप्ता को हटाया, शर्मा को जिम्मेदारी
...तो जा सकती है मान्यता
यदि पंचायत सचिव संगठन के बीच की लड़ाई में रजिस्ट्रार फर्म एवं संस्थाएं ने ठीक से निर्णय और वह भी समय पर नहीं लिया गया, तो यह संगठन भी विवादों में उलझता चला जाएगा। कर्मचारियों का कहना है कि कुछ अफसर कर्मचारियों के लिए न्याय की लड़ाई लड़ने वाले संगठनों को आपस में उलझना चाहते हैं, समय पर सही को सही और गलत को गलत नहीं करते।
कर्मचारियों का कहना है कि कोई व्यक्ति शासकीय सेवा से बर्खास्त हो गया है, तब भी उसे अध्यक्ष बनाए रखना और उस पद का उपयोग करते रहने से मना नहीं करना, एक तरह से अप्रत्यक्ष संरक्षण देने जैसा है। इस तरह भ्रम की स्थिति तो बनेगी ही, विवाद भी गहराते जाएंगे। उल्लेखनीय है कि पूर्व में मंत्रालय कर्मचारी संघ व मप्र तृतीय श्रेणी कर्मचारी संगठनों की मान्यता इसी तरह खटाई में पड़ चुकी है।
Comments
Add Comment